Ghazal Udas Chand Sitaron ko…

संगीत से मेरा रिश्ता बहुत पुराना है। एक वक्त था जब हम गज़ल की दुनिया में खो जय करते थे। फिर जिन्दगी की भग दौड़ में इस कदर उलझ कर रह गय की संगीत खो गया। मगर एक दिन संगीत मेरे जीवन में लौट आया जब मेने कमलादेवी संगीत कॉलेज जोइन किया। श्री चन्द्रभूषण वर्मा जी के संगत से संगीत फिर से मुझे मिल गया। गज़ल गीत फिर से जीवन का मेरे हिस्सा बन गया। आज teacher’s day के अवसर पर उनके द्वारा संगीतबध किया बशीर भद्र जी की ये खुबसूरत गज़ल आप सबको सुना रही हुँ। जोड़ने के लिये और जोड़े रखने के लिये आपका दिल से धन्यवाद ।

Tribute to Chhattisgarhi film Music Director, lok gayak, lyricist, Shri Chandrabhushan Verma on occasion of Teacher’s Day

“वो जानता है अकेला कहाँ मै जाऊँगा

इसीलिए तो मेरा हाथ उसने छोड़ दिया”

शायर बशीर बद्र